निर्यात संवर्धन परिषद
अपैरल निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी)
वर्ष 1978 में निगमित एईपीसी भारत में अपैरल निर्यातकों का आधिकारिक निकाय है जो उन भारतीय निर्यातकों के साथ-साथ आयातकों/अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों को बहुमूल्य सहायता प्रदान करता है जो परिधानों के लिए भारत को अपना वरीय सोर्सिंग स्थल चुनते हैं। अपैरल निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों के पीछे मुख्य ताकत का संक्षिप्त सार यह है: वर्ष 1978 में इसका एक कार्यालय था जो केवल 30 वर्ष की अवधि में 40 से अधिक कार्यालयों तक पहुंच गया है। यह केवल कोटा मॉनीटरिंग इकाई थी और अब यह परिधान विनिर्माण और उनके निर्यात के संवर्धन और सूचना का एक शक्तिशाली निकाय हो गया है। भारतीय निर्यातकों के लिए एईपीसी, सूचना सलाह तकनीकी मागदर्शन कार्यबल और विपणन आसूचना के लिए वन-स्टॉप शॉप है। सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय मेलों पर व्यापार से संबंधित अद्यतन संभावित बाजार के आंकड़ों की सूचना और इन मेलों में भाग लेने की सहायता उपलब्ध होती है। यह विभिन्न देशों में नए बाजारों और अग्रणी व्यापार प्रतिनिधि मंडलों की पहचान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पता:
ए. 223, ओखला औद्योगिक क्षेत्र,
फेज-।, नई दिल्ली-110020
कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (टेक्सप्रोसिल)
टेक्सप्रोसिल:- भारतीय कॉटन टेक्सटाइल्स का अंतर्राष्ट्रीय चेहरा है।
वर्ष 1954 में अपनी स्थापना से ही निर्यात संवर्धन को समर्पित गैर-लाभ न लाभ न हानि वाले स्वायत्त निकाय के रूप में इसने अपने आपको स्थापित किया है। टेक्सप्रोसिल के नाम से लोकप्रिय यह परिषद भारत के कॉटन टेक्सटाइल्स का अंतर्राष्ट्रीय चेहरा है जो पूरे संसार में व्यापार को सुकर बना रहा है। इसके सदस्यों में कॉटन, यार्न, फैब्रिक और होम टेक्सटाइल्स जैसे कॉटन टेक्सटाइल्स उत्पादों के सुस्थापित विनिर्माता और निर्यातक शामिल हैं जो संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के चमत्कारिक उत्पादों को प्रस्तुत करते हैं। यह परिषद उचित आपूर्तिकर्ताओं से अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों से मिलाती है और उनसे बातचीत कराती है जिससे वे अपनी विशिष्ट जरूरतों को पूरा कर पाते हैं। यह भारत के प्रतिस्पर्धी लाभों, इसके निर्यात परिवेश और वैश्विक बाजार स्थल में अद्यतन की हुई स्थिति से संबंधित सूचना प्रदान करती है। टेक्सप्रोसिल, अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों की प्रवृत्ति, व्यापार से संबंधित मुद्दों, प्रौद्योगिकी के विकास और उद्योग में हुई अद्यतन प्रगति के साथ-साथ मौजूदा और उभरते बाजारों की स्थिति को भी नियमित आधार पर अद्यतन करता है। यह नियमित रूप से बाजार अध्ययन करता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने की व्यवस्था करता है, अपनी क्रेता-विक्रेता बैठकें बुलाता है और भारत तथा दूसरे देशों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मिशनों को सुकर बनाता है। परिषद, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों, उभरते व्यापार मुद्दों, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी नियमों का अनुपालन करने, गुणवत्ता प्रबंधन तथा संपोषणीय व्यापार प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझाती है।
पता:
कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल,
इंजीनियरिंग सेंटर, 5वीं मंजिल,
9 मैथ्यू रोड, मुम्बई-400004
दि सिंथेटिक एंड रेयन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (एसआरटीईपीसी)
वर्ष 1954 में स्थापित सिंथेटिक एंड रेयन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (एसआटीईपीसी), भारत में सबसे पुरानी निर्यात संवर्धन परिषद है। परिषद ने पिछले कुछ वर्षों में बदलाव लाने की भूमिका निभाई है, निर्यात संस्कृति का सृजन किया है और भारत में मानव-निर्मित फाइबर और टेक्सटाइल्स के निर्यात को बढ़ावा दिया है। जिन मदों का 1960 के दशक में नगण्य निर्यात होता था उनके निर्यात में काफी वृद्धि हुई और वर्ष 2013-14 में 6.16 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात हुआ। इस समय लगभग 140 देशों में भारत निर्यात करता है। परिषद की यह परिकल्पना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतराल (2016-17) 55,000 करोड़ रुपए (9 बिलियन अमरीकी डॉलर) तक का निर्यात हो। कुल भारतीय वस्त्र निर्यात में एमएमएफ वस्त्र उद्योग का 17% का योगदान है और इस योगदान में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत, विश्व में एमएमएफ टेक्सटाइल्स का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है।
जीवंत भारतीय एमएमएफ वस्त्र उद्योग
भारतीय एमएमएफ उद्योग आधुनिक, जीवंत और निरंतर बढ़ रहा उद्योग है। भारत विश्व में सैलुलोसिक फाइबर/यार्न का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सिंथैटिक फाइबर/यार्न का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस समय भारत में 1263 मिलियन किलोग्राम मानव निर्मित फाइबर, 2655 मिलियन किलोग्राम यार्न और 27889 मिलियन वर्ग मीटर फैब्रिक्स का वार्षिक उत्पादन हो रहा है।
परिषद के क्षेत्राधिकार वाले उत्पाद परिषद के क्षेत्राधिकार में आने वाले उत्पादों में एमएमएफ और ब्लेंडिंग टेक्सटाइल की मदें है जिनमें फाइबर, यार्न, फैब्रिक्स, मेडअप्स, सहायक सामग्री, होम टेक्सटाइल्स, तकनीकी टेक्सटाइल्स आदि शामिल है।
पता:
सिंथैटिक एंड रेयन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल,
रेशम भवन,
78, वीर नारीमन रोड, मुम्बई-400020, भारत
ऊन और ऊनी वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद
स्थानीय विनिर्माताओं/निर्यातकों को विदेशी व्यावसाइयों की व्यवस्था करना और व्यापार करने के लिए उन्हें उपयोगी सूचना प्रदान करना। बड़े निर्यातकों को भारत आने का निमंत्रण देना और भारतीय ऊन उद्योग की क्षमता के बारे में बुनियादी सूचना प्राप्त करना।
• भारत आने वाले विदेशी खरीददारों की सहायता करना और उनका दौरा कार्यक्रम तैयार करना, उनकी व्यवस्था आदि करना
• विदेशों में भारतीय ऊनी उत्पादों की गुणवत्ता और किस्म का अनुमान लगाने के उद्देश्य से अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों के आयोजकों के साथ काम करना
• विदेशी बाजारों का पता लगाना और विदेशों में अध्ययन और बिक्री दलों को प्रायोजित करना
• अतर्राष्ट्रीय फैशन पूर्वानुमानों पर नजर रखना और उन्हें भारतीय निर्यातकों को प्रदान करना
• यह सुनिश्चित करने के लिए भारतीय ऊन के उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किए गए हैं, भारतीय वस्त्र निरीक्षण समिति की सहायता करना
• ऊन उद्योग के उत्पादन आधार को बढ़ाने और उसमें सुधाने करने के लिए कार्यक्रम तैयार करना और उन्हें क्रियान्वित करना
• न्यूजीलैंड के अंतर्राष्ट्रीय ऊन सचिवालय और ऊनी वस्त्र के साथ निकट संपर्क बनाए रखना।
पता:
फ्लैट नं. 614, इन्द्र प्रकाश बिल्डिंग,
21 बाराखम्बा रोड, नई दिल्ली-110001
ऊन उद्योग निर्यात संवर्धन परिषद (वूलटैक्सप्रो)
वूलटैक्सप्रो, एक स्वायत्त, गैर-लाभ वाला निर्यात संवर्धन परिषद है जिसे वस्त्र मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया है और जिसे वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, जो भारतीय ऊन वस्त्रों का भारतीय चेहरा बन गया है तथा जो सफलतापूर्वक निर्यात को सुकर बना रहा है।
वूलटैक्सप्रो के मुख्य कार्य:
• भारत आने वाले विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरा कार्यक्रम की व्यवस्था करना।
• भारत और विदेशों में क्रेता-विक्रेता बैठकों की व्यवस्था करना।
• न्यूजीलैंड के अंतर्राष्ट्रीय ऊन टेक्सटाइल्स संगठन, वूलमार्क कंपनी, ऊनी वस्त्रों, आस्ट्रेलियाई ऊन इमोवेशन के साथ निकट संपर्क बनाए रखना।
• भारतीय ऊनी उत्पादों की गुणवत्ता और किस्म का अनुमान लगाने के उद्देश्य से व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों की व्यवस्था करना। विदेशी बाजारों का पता लगाना और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों/अध्ययन दौरों की व्यवस्था करना।
• ऊनी उद्योग के उत्पादन आधार को व्यापक बनाने और उसमें सुधार करने के लिए कार्यक्रम तैयार करना और उन्हें क्रियान्वित करना।
• विदेशी बाजारों का पता लगाना।
• विदेशी खरीददारों को कंपनी का प्रोफाइल देना और इसी प्रकार उनका प्रोफाइल लेना।
• नौवहन और परिवहन की समस्याओं को दूर करना।
• निर्यात वित्त, बैकिंग और बीमा संबंधी सलाह देना।
• भारत और विदेशों में व्यापक प्रचार करना।
• व्यापार प्रतिनिधि मंडलों, अध्ययन दलों, बिक्री दलों को विदेशी बाजारों में प्रतिनियुक्ति करना।
• भारत और विदेशों में क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करना।
• बाजार अध्ययन।
पता:
चर्च गेट चैम्बर्स,
7वीं मंजिल, 5 न्यू मैरिन लाइन्स,
मुम्बई - 400020
भारतीय रेशम निर्यात संवर्धन परिषद
कंपनी अधिनियम के तहत गैर लाभ वाली कंपनी के रूप में जिसे वर्ष 1983 में भारतीय रेशम निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की गई थी जिसे भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय द्वारा विधिवत प्रायोजित किया गया था। आज की तारीख तक परिषद के पास रेशम के सामान के नियमित 655 निर्यातकों की सदस्यता है जबकि 1800 से अधिक निर्यातक परिषद में पंजीकृत हैं। आईएसईपीसी, रेशम क्षेत्र संबंधी नीति तैयार करने के लिए भारत सरकार के साथ मिल काम करती है और विशेषज्ञ सेवायें प्रदान करती है जिससे भारत में रेशम उद्योग का कारोबार करने के लिए वैश्विक अवसर बढ़े हैं।
परिषद के मुख्य क्रियाकलाप:
• बाजार सर्वेक्षण करके बाजारों का पता लगाना और निर्यात की संभावना वाली मदों की पहचान करना।
• संभावित खरीददारों की भारतीय रेशम उत्पादों में उनकी रुचि उत्पन्न करने के लिए उनके साथ संपर्क स्थापित करना।
• विभिन्न विदेशी बाजारों में व्यापार प्रतिनिधिमंडल, अध्ययन दल और बिक्री दलों को प्रायोजित करना।
• इसके निर्यातक सदस्यों के लिए क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करना।
• भारत में रेशम मेले और प्रदर्शनियां आयोजित करना।
• विदेशी व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेना।
• व्यापार संबंधी विवादों का हल करना।
• भारत से रेशम उत्पादों को सामान्य तौर पर बढ़ावा देना।
• व्यापार और नीति संबंधी विभिन्न मुद्दों पर कार्यशाला/सेमीनार आयोजित करना।
पता:
बी-1, मोहन कोआपरेटिव इंडस्टीयल एस्टेट,
मथुरा रोड, नई दिल्ली - 110044
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी)
निर्यातकों द्वारा सीईपीसी की स्थापना कंपनी अधिनियम के तहत वर्ष 1982 में की गई थी जो एक गैर-लाभ वाला संगठन है। इसकी स्थापना हाथ से निर्मित कालीनों, गलीचों और दूसरी फ्लोर कवरिंग के निर्यात को बढ़ावा देने और उनका विकास करने के लिए की गई थी। यह देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हाथ से निर्मित कालीन निर्यातकों का आधिकारिक निकाय है और हाथ से निर्मित अच्छी किस्म के कालीन उत्पादों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की ‘मेक इन इंडिया’ की छवि के रूप में इसे प्रस्तुत किया जाता है। इसलिए सीईपीसी, समूचे विश्व में आरएंडडी, गुणवत्ता आश्वासन, तैयार माल की समय पर सुपुर्दगी में सहायता करने के साथ-साथ बुनकरों/कारीगरों/उद्यमियों के कौशल में वद्धि करने, मौजूदा बाजार आधार के मजबूत करने, संभावित बाजारों का पता लगाने, सरकारी नीतियों को समझाने और उनका अनुपालन करने, विश्व प्रसिद्ध व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों को आयोजित करने, उनमें भाग लेने, विश्व भर स्थापित बाजारों में रोड शो आयोजित करने में सहायता करता है।
पता:
निर्यात भवन, तीसरी मंजिल,
राव तुलाराम मार्ग,
आरआर आर्मी अस्पताल के सामने,
नई दिल्ली-110057
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच)
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना कंपनी अधिनियम के तहत वर्ष 1986-87 में गई थी और यह गैर-लाभ संगठन है जिसका उद्देश्य हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देना, सहायता करना, संरक्षण प्रदान करना और इसे बनाए रखना और बढ़ाना है। देश से हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यह हस्तशिल्प निर्यातकों का शीर्ष निकाय है और इसे अच्छी किस्म की हस्तशिल्प की वस्तुओं और सेवाओं के विश्वस्तरीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेश में भारत की छवि के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और अंतर्राष्ट्रीय और विनिर्देशनों को ध्यान में रखते हुए कई उपाय सुनिश्चित किए जाते हैं। परिषद ने आवश्यक अवसंरचना के साथ-साथ विपणन और सूचना सुविधाओं का सृजन किया है जिनका उपयोग निर्यातक और आयातक सदस्यों, दोनों द्वारा किया जाता है। परिषद को भारत के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने और अच्छी किस्म के हस्तशिल्प के विश्वस्तरीय आपूतिकर्ता के रूप में विदेश में भारत की छवि प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है।
पता:
ईपीसीएच हाउस, पाकेट 6 एवं 7, सेक्टर सी, लोकल शॉपिंग काम्प्लेक्स,
डीपीएस, वसंतकुंज के सामने, नई दिल्ली - 110070
विद्युतकरघा विकास एवं निर्यात संवर्धन परिषद (पीडीईएक्ससीआईएल)
वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार ने वर्ष 1995 में विद्युतकरघा विकास और निर्यात संवर्धन परिषद (पीडीईएक्ससीआईएल) की स्थापनी की थी। परिषद को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत पंजीकृत किया गया है और इसका पंजीकृत मुख्यालय मुम्बई, महाराष्ट्र और क्षेत्रीय कार्यालय इरोड, तमिलनाडु में है। पीडीईएक्ससीआईएल का मुख्य उद्देश्य विद्युतकरघों का संवर्धन, सहायता, विकास, उन्नत करना और उनकी संख्या में वृद्धि करना तथा विद्युतकरघा फैब्रिक्स और उसके मेड-अप्स का निर्यात करना और इस ढंग से कोई अन्य कार्य करना जो आवश्यक या तात्कालिक स्वरूप का हो। पीडीईएक्ससीआईएल भारत में विद्युतकरघा उद्योग के विकास और विद्युतकरघा फैब्रिक्स तथा मेड-अप्स के निर्यात को बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सेमिनार, मेले, क्रेता-विक्रेता बैठक, विलोमत: क्रेता-विक्रेता बैठक, अंतर्राष्ट्रीय मेलों में भाग लेने, व्यापार प्रतिनिधिमंडल के दौरे आदि से संबंधित कार्य करता है। हमारे सदस्य उनकी सुविधाओं, निर्यात कार्य निष्पादन और विकास के लिए पीडीईएक्ससीआईएल के क्रियाकलापों का लाभ उठा सकते हैं। पीडीईएक्ससीआईएल के समर्थन और सहायता से भारत में आज विद्युतकरघा उद्योग काफी सफल है। पीडीईएक्ससीआईएल द्वारा शुरू की गई विकासात्मक क्रियाकलापों से भारतीय विद्युतकरघा टेक्सटाइल्स वैश्विक सुपरमार्केट द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह सज्जित है।
पता:
जीसी-2, भूतल, गुंडेचा ऑनक्लेव,
खेरानी रोड, साकीनाका, अंधेरी (पूर्व),
मुम्बई
हथकरघा निर्यत संवर्धन परिषद (एचईपीसी)
रोजगार की संभावना की दृष्टि से भारत का वस्त्र उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। हथकरघा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हथकरघा उद्योग देश में सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है जिसमें 23.77 लाख करघे हैं। करूर, पानीपत, वाराणसी और कन्नूर मुख्य हथकरघा निर्यात केंद्र है जहां बेड लिनेन, टेबल लिनेन, किचन लिनेन, टॉयलेट लिनेन, फ्लोर कवरिंग, एंब्राइडरीयुक्त टेक्सटाइल्स सामग्री, पर्दे आदि निर्यात बाजारों के लिए बनाए जाते हैं। हथकरघा उद्योग मुख्यत: फैब्रिक्स, बेड लिनेन, टेबल लिनेन, टॉयलेट और किचन लिनेन, तौलिये, पर्दे, कुशन और पैड, टैपस्टरी और अपहोलस्टरी, कालीन, फ्लोर कवरिंग आदि का निर्यात करता है। भारत के हथकरघा उत्पादों के मुख्य आयातक देश यूएसए, यूके, जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान, सऊदी अरबिया, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और यूएई हैं। हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद (एचईपीसी) एक नोडल एजेंसी है जिसका गठन फैब्रिक्स, होम फर्निशिंग, कालीन, फ्लोर कवरिंग आदि जैसे सभी हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार’ के तहत किया गया है। एचईपीसी का गठन वर्ष 1965 में 96 सदस्यों के साथ किया था और समूचे देश में फैले इसके वर्तमान सदस्यों की संख्या लगभग 1400 है। एचईपीसी का प्रमुख उद्देश्य व्यापार संवर्धन और अंतर्राष्ट्रीय विपणन के लिए भारतीय हथकरघा निर्यातकों और अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों को हर प्रकार की सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना है। एचईपीसी, भारत और विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, क्रेता-विक्रेता बैठकों और सेमिनारों का आयोजन करता है/उनमें भाग लेता है।
‘जब संसार गहरी नींद में होता है तब हमारे हाथ बुनाई कर रहे होते हैं।’
पता:
हथकरघा निर्यत संवर्धन परिषद (एचईपीसी)
(वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार)
34, कैथेड्रल गार्डन रोड,
नंगंबकम, चैन्नई - 600034
पटसन उत्पाद विकास और निर्यात सवंर्धन परिषद
पटसन फाइबर, यार्न, ट्वाइन और फैब्रिक से परंपरागत, तकनीकी और नए तथा विविधता लिए सभी प्रकार के पटसन, पटसन ब्लेंडेड और पटसन यूनियन उत्पाद तैयार किए जाते हैं। - कृपया अधिक जानकारी के लिए : http://taxguru.in/dgft/dgft-inclusion-jute-products-development-export-promotion-council-jpdepc-appendix-2-list-export-promotion-councils-commodity-boards-export-development-authorities-handbook-procedures-voli-20092014.html#sthash.Y6glaiz0.dpuf
पता:
चटर्जी इंटरनेशनल, 5वीं मंजिल, फ्लैट नं. 8, 33ए, जे.एन.रोड
कोलकाता, पश्चिम बंगाल - 700071